Amalaki Ekadashi 2024 आमलकी एकादशी पूजा विधि और महत्तव

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Amalaki Ekadashi 2024 : आप सभी को आमलकी एकादशी हार्दिक शुभकामनायें ये एकादशी फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष में आती है । और इसके महिमा व वर्णन ब्रह्माण्ड पुराण में आता है । जैसे की इसके नाम से ही समझ सकते है आमलकी यानि की आमला कहा जाता है भगवन विष्णु ने आंवले की वृक्ष को आदि वृक्षों के रूप में प्रदिर्शित किया । इस वजह से इस एकादशी के दिन आंवले की वृक्ष की पूजा करने का भी महत्त्व है ।

Amalaki Ekadashi 2024 : इस एकादशी से जुड़ी कथा कुछ इस प्रकार है ।

Amalaki Ekadashi 2024 : एक बार राजा मान्धाता वशिस्ट मुनि से बोले हे महान संत मुझ पर कृपा करें आपक किसी ऐसी व्रत की कथा कहिये जिससे मेरा कल्याण हो । तो इसपर वशिष्ट्मूनि ने उत्तर दिया हे राजन मै एक ऐसे व्रत का वर्णन कर रहा हूँ जो समस्त व्रत में श्रेष्ठ और मोक्ष देने वाला व्रत है और यह है आमलकी एकादशी का व्रत सभी पापों को नस्ट करने वाला इस व्रत का फल एक हजार गौ दान के बराबर है । अब मै आप से एक पौराणिक कथा कहता हूँ जिसे आप ध्यान पूर्वक सुने । ऐसा वशिष्ट्मूनि ने कहा ।

Amalaki Ekadashi 2024

तो उन्होंने आगे ये कहा की एक बार एक राज्य हुआ जिसका नाम था जयद्रथ इस राज्य के सभी रहिवाशी हर क्षेत्र में संपन्न थे और आनंद पूर्वक सभी एक दूसरे के साथै रहते थे । इस नगर में सदैव वेद ध्वनि गूंजती रहती थी । इस राज्य की विशेषता यह थी की यहाँ कोई भी व्यक्ति नास्तिक या दुराचारी नहीं था ।  राजा जयद्रथ इस राज्य का राजा था जो अत्यंत विद्वान् और धार्मिक था इस राजा के शासन में कोई भी व्यक्ति दरिद्र नहीं था । हर कोई निष्ठां पूर्वक धर्म का पालन करते थे । इस प्रकार सभी नगर वासी भगवन विष्णु की भक्ति करते थे और उनकी सेवा में अपना हर कार्य करते थे । सभी लोग एकादशी का पालन बहोत ही सकती से करते थे । एक समय फाल्गुन मास के शुक्लपक्ष में आने वाली आमलकी एकादशी थी तो राजा अपने प्रजा के साथ मंदिर में जाकर पूर्ण कुम्भ स्थापित करके धुप, दीप, नैवेद्य, पंचरत्न आदि के साथ आंवले की पूजन भी करने लगे रात के समय वहा एक शिकारी आया वो महा पापी था दुराचारी था और जीव हिंसा करके अपना कुटुंब पलता था । तो ये शिकारी भूक प्यास से व्याकुल हो कर उस मंदिर में पोहोच गया । Amalaki Ekadashi 2024 जहा राजा भगवत कथा कर रहे थे । तो उस मंदिर में जाकर वो एक कोने में बैठ गया वहा भगवन विष्णु की कथा तथा एकादशी महात्मय सुनने लगा इस प्रकार वो शिकारी सारी रात भक्तों का साथ पाकर भगवत कथा सुनने में बिताई । प्राहतः काल सभी लोग आपने आपने निवास चले गए यह देख कर वो शिकार भी अपने घर लौट गया ।

Amalaki Ekadashi 2024: लेकिन कुछ दिनों के बाद अचानक उसकी मृत्यु हो गयी उसकी हिंसक कार्यों के वजह से वैसे तो वो नरक जाने योग्य था लेकिन उस दिन आमलकी एकादशी का व्रत करने का प्रभाव पड़ा और उसका अगला जन्म राजा विद्रत के यहाँ हुआ । उसका नाम वसुरथ रखा गया । जिस राज्य में उसका जन्म हुआ जहा धन और धान्य की कोई कमी नहीं थी । बड़ा हो कर राजा वसुरथ एक सुन्दर, शक्तिशाली, कर्मवीर और करुणामय राजा बन गया । इसके साथ हे वो भगवन का बोहोत हे बड़ा भक्त भी था । वो अपनी प्रजा का समान से पालन करता था । एक बार वो राजा शिकार पर वन में चला गया । अचानक वन में रास्ता भटक कर एकदम दिशाहीन होगया और थक हार कर एक वृक्ष के नीचे सो गया । कुछ समय बाद कुछ डाकू वह आये और राजा को अकेला देख कर उसकी और उसको मारने के लिए दौड़ पड़े वो डाकू कहने लगे की इस राजा ने हमारे माता पिता हमारे सरे प्रियजन का वध किया है और आपने राज्य से हमें भी निकाल दिया है । आज हम इसे मारकर अपने अपमान का बदला लेने का एक अवसर मिला है । लेकिन उसी समय राजा के शरीर से एक दिव्या देवी प्रकट हुई और देखते हे देखते उसने उन सभी डाकुओं का नाश कर दिया । जब राजा जागा तो वो सोचने लगा की इतने सारे डाकुओं को किसने मारा है । इस पुरे वन में कौन मेरा हितैषी होगा तभी एक आकाशवाणी के माध्यम से उसे ज्ञात हुआ उसकी रक्षा स्वयं भगवन विष्णु ने की यह सुनकर राजा का भगवन के प्रति प्रेम कई गुना अधिक बढ़ गया । भगवन का हृदय पूर्वक धन्यवाद् व्यक्त करके राजा अपने नगर लौटकर सुख समृद्धि से वापस राज्य करने लगा । जीवन के अंत में उसे वैकुण्ठ धाम प्राप्त हुआ । 

Amalaki Ekadashi 2024

Amalaki Ekadashi 2024 : वैकुण्ठ प्राप्ति के मूल मंत्र

इस प्रकार वशिष्ट्मूनि ने राजा मान्धाता से कहा की जो कोई इस अति पवित्र आमलकी एकादशी का पालन करता है । उसे निसंध्ये वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है । हमारे सस्त्र में बताया गया है की एकादशी इसका मूल उद्देश्य भूका रहना नहीं है बल्कि भगवन विष्णु प्रति हमारी श्रद्धा हमारा प्रेम बढ़ाना है । जब हम भगवन का अधिक से अधिक नाम स्मरण करते है और उनके भगतों के संग में रहकर उनकी लिकाओं का उनकी व्यक्तित्व का श्रवण करते है । तो भगवन के प्रति हमारी आसक्ति बढ़ जाती है । और अंत: हमारा हर एक कार्य सिर्फ भगवन को प्रस्सन करके उन्हें संतुस्ट करनेकी के लिए ही किया जाता है । ऐसा भक्ति बहाव को बढ़ाने में एकादशी जैसे व्रतों की मुख्य भूमिका है । इसीलिए हर एकादशी व्रत का निष्ठा पूर्वक पालन कीजिये ।

धन्यवाद्

Amalaki Ekadashi 2024 : आप सभी को आमलकी एकादशी हार्दिक शुभकामनायें

Amalaki Ekadashi 2024 : वैकुण्ठ प्राप्ति के मूल मंत्र

इस प्रकार वशिष्ट्मूनि ने राजा मान्धाता से कहा की जो कोई इस अति पवित्र आमलकी एकादशी का पालन करता है । उसे निसंध्ये वैकुण्ठ की प्राप्ति होती है । हमारे सस्त्र में बताया गया है की एकादशी इसका मूल उद्देश्य भूका रहना नहीं है बल्कि भगवन विष्णु प्रति हमारी श्रद्धा हमारा प्रेम बढ़ाना है

Amalaki Ekadashi 2024 : Can we eat amla in ekadashi fast

आपके प्रश्न का जवाब इस पोस्ट में है

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