Holi Festival 2024 : होली का त्यौहार सभी जानते है । होली (Holi) की कथाएं हमने कई बार टीवी पर देखि है की हम होली (Holi) क्यूं मनाते है । इसके बारे मुझे आपको ज्यादा कुछ बताने की जरुरत नहीं है । होलिका दहन के दूसरे दिन हम एक दूसरे को रंग लगाकर होली मनाते है ऐसी मान्यतएं है । आज कल तो होली कब आती है और कब चली जाती है कुछ पता ही नहीं चलता । सभी अपने जीवन में इतने व्यस्त हो गए है की होली के त्यौहार से किसी को कोई मतलब ही नहीं रह गया । लेकिन मन में सभी के ये रहता है की काश हम छोटे होते हम भी खुल करके होली मानते । जैसे जैसे हम बड़े होते गए होली को मनानेके तरीकों में भी बदलाव आते गए । आज कल तो होली को एक नशे के दिवस के रूप में भी लोग मानाने लगे है ।
Holi Festival 2024 : बचपन की होली
Holi Festival 2024 : अपने दोस्तों के बीच ऐसी ऐसी प्लानिंग होती है जैसे की होली के दिन हम क्या करेंगे कहा जायेंगे कहा भांग खाएंगे कोनसी शराब पिएंगे क्या खाना खाएंगे, कौनसी जगह घूमने जायेंगे और भी बोहोत सारी प्लानिंग करते है । लेकिन कोई ये नहीं प्लान बनता की कौनसा रंग लगाएंगे, कौनसा रंग खरीदेंगे, किसको किस तरह से भिगाएंगे, कौनसे पकवान खाएंगे, किसके घर कौनसा पकवान बना है । ऐसी बोहोत सारी बातें अब कोई नहीं करता ऐसी कोई प्लानिंग अब नहीं बनती ।
मुझे याद है की बचपन में मै होली के त्यौहार में कितना खुश रहता था । करीब एक हफ्ते से यही सोचता रहता की अपने स्कूल के होली (Holi) में कौनसा रंग खरीदू अपने दोस्तों को कौनसा रंग लगाऊं की वो कई हफ्तों तक न छूटे । हमारे दोस्तों में यही चर्चा चलती रहती की कौनसा रंग पक्का है उसका नाम क्या है । हसने वाली बातें यह है की कोई कहता रेमंड का कलर लगाते है कोई कहता की बिरला का कलर लाएंगे । लेकिन ऐसा कोई कलर बाजार में मिलता ही नहीं था । खैर रंग तो खरीदना ही है । आखिर में दिन बीतता चला जाता होली की उत्सुक्ता मन में बढ़ती ही जाती थी ।
Holi Festival 2024 : एक बार तो मैंने जो पैरों में लगाते है वह रंग अपने स्कूल वाली पेंट जेब रेख लिया था और वह पैकेट थोड़ा खुला था जिसके वजह से मेरे स्कूल की ड्रेस पूरी ख़राब हो गयी थी। उसके लिए मैंने मेरे टीचर से मार भी खाई थी बल्कि घर में भी बोहोत डांट पड़ी थी । उस समय पैसे भी बोहोत कम मिलते थे जेब खर्च के लिए करीब 2 से 3 रुपये के बीच मिलते थे । वह भी काफी होते थे क्यूंकि उस समय रंग भी 1 रुपये में मिल जाता था । ढेरो खुसियां उस 2 से 3 रुपये मिल जाता था। और ढेर सरे पैसों की इच्छा भी मन में नहीं रहती। होली का त्यौहार काफी सस्ता त्योहारों में सबसे आगे है ।
Holi Festival 2024 : अब वह दिन आ जाता जिस दिन हमें स्कूल में होली खेलनी होती थी । सुबह उठ कर तैयार हो कर निकल जाते स्कूल के लिए रस्ते में जो भी रंग मिल जाता उसे खरीद लेते और चले जाते स्कूल । आपस में हमारे दोस्तों में ये बातें चलती रहती की तूने कौनसा रंग लाया है बता सभी एक दूसरे को अपना अपना कलर का पैकेट दिखाते और चलते क्लास में ही चेक करते की कौनसा कलर बोहोत गाढ़ा है । जिसका रंग ज्यादा गाढ़ा होतो उससे सभी डरने लगते और कहते की मुझे मत लगाना ये रंग मै तुझे नहीं लगाऊंगा रंग । लेकिन जैसे ही टीचर कहती अब तुम सभी जन होली खेल सकते हो । इतना सुनते ही कोई किसी को नहीं देखता सभी अपनी अपनी कलर की पैकेट को खोल एक दूसरे को रंग लगाना शुरू कर देते । सभी लाल पीले हो जाते बोहोत माज़ा आता । उसी अवस्था में घर आते और अपना अपना रंग छुड़ाना शुरू कर देते । इस बीच जब हम घर आ रहे होते थे । रस्ते में आते जाते लोग भी हमें देख कर बोहोत खुस होते रहते । उनकी मुस्कराहट यह दर्शाती की काश हम भी तुम्हारे तरह छोटे बच्चे होते ।
Holi Festival 2024 : एक वर्ष की बात है । होली के एक दिन पहले मै और मेरा दोस्त (आज़ाद ) हम दोनों पूरा दिन ये देख रहे थे की कौनसा रंग गाढ़ा है। उसके पास बोहोत सारे रंग थे उसमे से एक रंग था पीला जो वाकई में बोहोत तेज़ रंग था । पहले हम गुब्बारों में पानी और रंग मिलाकर उसे पिचकारी के बाद्दत से भर कर एक दूसरे को वह पानी और रंग से भरा हुआ गुब्बारा मारते थे । उसी तरह हमने भी उस पीले रंग को भरकर उसे मारना था । अगर हम वह गुब्बारा की इंसान पर मारते तो यह पता लगाना मुश्किल होता। इससे यह रंग कितना गाढ़ा है। इसीलिए हमने उस गुब्बारे को सामने वाली दिवार पर मारा मुझे याद है की कई वर्षो तक वो रंग नहीं छूटा उस दिवार से । हम बड़े हो गए आज भी मिलते है और उस दिन की बातें करते है ।
बचपन से बड़े होते देर नहीं लगती । ऐसा कुछ लिखना चाहु तो ऐसी बातें कभी ख़तम ही नहीं होंगी । आप ही बताइये बड़े होते हुए भी बचपन की तरह होली खेले क्या यह हो सकता है ? क्या हम उस खुसी को आज पैसे दे कर खरीद सकते है ? क्या आज हम होली की ऐसी तैयारी कर सकते है ?
Holi Festival 2024 – बचपन की होली