Mohini Ekadashi 2024 : हर वर्ष वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मोहिनी एकादशी मनाई जाती है। इस वर्ष 19 मई को मोहिनी एकादशी है। इस दिन भगवान विष्णु के भक्त उन्हें प्रसन्न करने के लिए कठिन व्रत रखते हैं और विभिन्न पूजा नियमों का पालन करते हैं। एकादशी हर माह में दो बार आती है। प्रत्येक एकादशी का अपना एक विशेष अर्थ है जो लोग यह व्रत रखते हैं उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Mohini Ekadashi 2024 : व्रत कथा
Mohini Ekadashi 2024: का व्रत की कथा कुछ इस प्रकार है।
महर्षि वशिस्ट ने प्रभु श्री राम जी से कही थी धर्मी ग्रहणतो में मोहिनी एकादशी अत्यंत शुभ तथा पवित्र मानी गयी है। इस व्रत को रखने से पुरे वैशाख समस्त दुखों का नाश करने वाली एकादशी धन और सौभाग्य का फल देने वाली एकादशी है। इसका व्रत करने से मनुष्य इस कर्म जाल से मुक्त हो जाता है। मोहिनी एकादशी कथा के अनुसार सरस्वती नदी के तट पर भ्रद्रावती नाम की एक नगरी में दृतिमान नामक एक चंद्रवशी राजा राज़ करता था। वह धन धान्य से परिपूर्ण था। उस नगर में पुण्य पाल नामक वैश्य भी रहता था।
Mohini Ekadashi 2024 : वह अत्यन दयालु और विष्णु भक्त था। उसकी नगर में अनेक भोजनालय, प्याऊ, धर्मशाला अदि बनवाये थे। उसने आने जाने के पथ पर आम, जामुन और नीम के वृक्ष भी लगवाए थे। उसके पांच पुत्र थे सोना, सद्बुद्धि, मेघावी सीक्रिती और त्रिस्बुद्धि। इन पांचों पुत्रों में त्रिस्बुद्धि महा पापी था। वह पितृ अदि को नहीं मानता था वह वैश्य दुराचारी के संगती में रह कर जुआं और भोग विलास करता था। और वह मास मदिरा का सेवन करता था। आने कुकर्मो से पिता के धर्म को नस्ट करता था। इन्ही कारणों से त्रस्त होकर पिता ने उसे घर से निकल दिया। घर से निकलने के बाद वह अपने गहने और कपडे बेंच कर जीवन निर्वाह करने लगा। जब सब कुछ नस्ट हो गया तो दुराचारी वैश्य ने उसका साथ छोड़ दिया। अब वह भूख और प्यास अदि से दुखी रहने लगा इसी वजह से चोरी करना सीख गया। एक बार पकडे जाने पर वस्य का पुत्र जान कर चेतावनी देकर छोड़ दिया गया लेकिन दूसरी बार पकडे जाने पर राजा ने उसे कारागार में दाल दिया।
कारागार में उसे अत्यन दुःख झेलना पड़ा उसके बाद राजा ने उसे नगर बाहर कर दिया। वह नगर से निकल वन में चला गया वहां वह पक्षियों को मार कर खाने लगा। कुछ समय बाद वह बहेलिया बन गया और धनुष्य बाण लेकर वन में पक्षियों को मार कर खाने लगा। Mohini Ekadashi 2024 : एक दिन भुख प्यास से व्याकुल हो कर वन में घूमने लगा और कोढ़िनि ऋषि के आश्रम में पोहोच गया उस समय वैशाख मास और ऋषि गंगा स्नान करके वापस आ रहे थे। उनके भीगे वस्त्रों के पानी के छींटे पड़ने से उसे सद्बुद्धि प्राप्त हुई। वह कोढ़िनि मुनि से हाथ जोड़कर कहने लगा। उसने कहा मैंने जीवन में बोहोत पाप किये है , Mohini Ekadashi 2024 : इस पाप से मुक्ति पाने के लिए उपाय बताएं ऋषिवर जो बिना धन के के हो । उसके ऐसे वचन सुन कर ऋषि ने कहा तुम वैसाख मास के मोहिनी एकादशी का व्रत करो इससे तुम्हारे समस्त पाप नस्ट हो जायेंगे। यह सुनकर वह अत्यंत प्रसन्ना हुआ और उनके बताये हुए व्रत को करना प्रारम्भ कर दिया। और उनके बताये गए नियम के अनुसार व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप नस्ट हो गए। और अंत वह गरुड़ पर बैठ कर विष्णु लोक में गया। अतः इस व्रत से मोह पाप सब नस्ट हो जाते है। Mohini Ekadashi 2024 : संसार में इस व्रत से श्रेष्ठ कोई व्रत नहीं है। इसके माहत्म्य को पढ़ने से और सुनने से 1 हजार गौ दान का फल प्राप्त होता है। इस व्रत की कथा वैशाख मास में पुण्य देने में सक्षम है।