Karmo ka Bhugtan 2024 : कर्मो का भुगतान करना ही पड़ता है

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Karmo ka Bhugtan : संत राजिन्दर सिंह जी महाराज न युगों-युगों से संते-महात्मा, धर्मों के संस्थापक शाकाहार पर जोर देते रहे हैं। इसकी मुख्य कारण है कि वे कर्मों का विधान जानते हैं। भौतिक विज्ञान मैं हमें पढ़ाते हैं, ‘हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती, इंस सिद्धांत के नैतिक दृष्टिकोण से हमें कर्म के विधान को समझ सकते हैं। आजकल वैज्ञानिकं हमारे मस्तिष्क से निकलने वाली तरंगों की शक्तिं पर जाँच कर रहे हैं। ये तरंगें विचारों, वचनों और कार्यों की प्रतिक्रिया के रूप में हमारे अंदर सें प्रकट होती हैं। यही कर्मों का विधान कहता… है कि “जब भी कोई कार्य किया जाता है तो उसकी प्रतिक्रिया होती है। प्राचीन हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन धर्मों के मूल सिद्धांतों में से एक है कर्मों का विधान। यह हमारी आत्मा के स्तर पर हमें प्रभावित करता है। हमारे विचारों, वचनों और कर्मों को दर्ज किया जाता है, इसीलिए जब ये अच्छे होते हैं तो हमें उसका अच्छा फल मिलता है और जब ये ख़राब होते हैं, तो हमें उसका भुगतान  करना पड़ता है। यह इस दुनियावी इंसान के कानून की तरह है, जो सजा और  पर आधारित है। बाइबल में भी लिखा है, जैसे को तैसा| कुछ दूसरे धर्मग्रेथों में यह भी आया है कि हमारे जीवन के कर्मों के आधार पर हमें स्वर्ग यां नरक में स्थान दिया जाता है। संत-महात्मा जिन्होंने परमात्मा को पाया है और आंतरिक मंडलों के राज खोले हैं, वे अपने अनुभव के आधार पर हमें कर्मों के विधान के बारे में समझाते हैं। इसीलिए जो लोग उनसे ज्योति और श्रुति का निज अनुभव लेना चाहते . हैं, वे उन्हें बताते हैं। वे उन्हें शाकाहार का पालन करना होता है। आध्यात्मिक गुरु नहीं चाहते कि हम नंए कर्म बनाएं और फिर उन्हें भुगतने के लिए दोबारा इस धरती पर आने को मजबूर हों। यदि हम किसी जीव की हत्या करते हैं तो उस कर्म का भुगतान हमें करना ही पड़ता है। बौद्ध धर्म में भी ऐसी कई कहानियं हैं जिनमें लोगों को पिछले जन्म के कर्म का नतीजा भुगतना पड़ा था।

Karmo ka Bhugtan 2024 : संत-महात्माओं

Karmo ka Bhugtan : यह बात विचार करने योग्य है कि संत-महापुरुष जिन्होंने परमात्मा को पाया है, वे अपने  अनुभव के आधार पर  कर्मों का विधान सिखाते हैं। जो लोग इस सिद्धांत की पुष्टि करना चाहते हैं वे संत-महात्माओं की तरह परीक्षण करके अंतर के मंडलों में जा सकते हैं। वहां जाकर वे कर्मों के विधान की सत्यता का पता लगा सकते . हैं। 8 near-death experience, यानी मृत्यु के नजदीक के किए हैं, उन्होंने बताया है कि वे रोशनी से भरपूर क्षेत्र में आ गए और अपने जीवन की समीक्षा कर अपने अच्छे और बुरे सभी कार्यों को देखा। उन्होंने दूसरे लोगों को देखा ही नहीं बल्कि महसूस भी किया कि जब वे उनसे अच्छा या बुरा बर्ताव करते थे, तब उन्हें कैसा लगता था? इन अनुभवों से वे प्रेम के मुख्य सिद्धांत को समझ पाए। जीवन में वापसी के बाद ऐसे लोग अधिक प्रेममय और दूसरों का ख्याल रखने वाले कर्मों के विधान को भी समझ पाए, जिससे कि उन्होंने सदाचारी जीवन जीते हुए अपना ध्यान पिता-परमेश्वर की ओर लगाया। आइए, हम भी ध्यान-अभ्यास के माध्यम से पिता-परमेश्वर के प्रेम और शांति का अनुभव करें।

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